December 06, 2022


Heart Attack Recovery: हार्ट अटैक के बाद जल्दी रिकवरी के लिए एक्सपर्ट के बताए इन टिप्स को करें फॉलो


Heart Attack Recovery: पिछले कुछ समय से कम उम्र में लोगों को भी हार्ट अटैक आने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. लोगों में इसको लेकर अक्सर खौफ भी देखा जाता है. यही कारण है कि ज्यादातर लोग सीने में दर्द जैसी शिकायत होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना बेहतर समझते हैं. जिन लोगों को दिल का दौर पड़ता है, उनका जीवन कई तरीकों से बदल भी जाता है. वहीं अटैक आने के बाद वह व्यक्ति और उसका परिवार इसी सोच में पड़ जाता है कि क्या अब वो एक नॉर्मल लाइफ जी सकता है? इस सवाल का जवाब है हां. दरअसल, इस घातक बीमारी से जूझने के बाद भी कई लोग अपनी नॉर्मल लाइफ जी सकते हैं. हालांकि इसके लिए उन्हें समय से अस्पताल जाकर सही इलाज कराने की जरूरत होती है. 

बता दें कि पिछले कुछ समय से दवाइयों से लेकर स्टेंट, इमेज-गाइडेड एंजियोप्लास्टी तकनीकों और मिनिमली इनवेसिव सर्जरी व रोबोटिक सर्जरी जैसी सर्जिकल तकनीकों में जबरदस्त और काफी अच्छा बदलाव देखने को मिला है. इनकी गुणवत्ता में भी काफी प्रगति देखी गई है. दवाइयों और इलाज में हुई इस सक्सेस के चलते ही आज यह संभव हुआ है कि हार्ट अटैक पड़ने के बाद भी लोगों की रिकवरी पूरी तरह से हुई है. वो मरीज जो एंजियोप्लास्टी कराते हैं, उनमें से अधिकतर मरीजों को 48 से 72 घंटों में डिस्चार्ज कर दिया जाता है और लगभग 1 से 2 हफ्ते में वो अपनी नार्मल लाइफ जीने लगते हैं. हालांकि हार्ट अटैक के बाद खास ख्याल रखने के पीछे की मुख्य वजह यही है कि मरीजों को उनकी नार्मल दिनचर्या में वापस लाने में मदद मिल सके.


Heart Attack Recovery: हार्ट अटैक के बाद रिकवरी के लिए फॉलो करें ये 5 टिप्स

1. दिल का दौरा पड़ने के बाद नियमित रूप से व्यायाम करें:

हार्ट अटैक आने के बाद आपको अपने डेली रूटीन में टहलना जरूर शामिल करना चाहिए.टहलना हार्ट को स्वस्थ रखने के लिए सबसे अच्छी एक्सरसाइज है.मरीज डिस्चार्ज होने के एक हफ्ते के बाद ही अपने डेली रूटीन में टहलना शामिल कर सकते हैं और धीरे-धीरे अपने टहलने के स्पीड को बढ़ा भी सकते हैं.नार्मल तौर पर एक महीने से भी कम समय में आप वापस अपनी पुरानी लाइफ में आ सकते हैं. इसके साथ ही आप डेली रूटीन में योग,ध्यान और आराम को शामिल करें जिससे रिकवरी और तेज होगी.


सलाह: अधिक व्यायाम केवल चिकित्सकीय देखरेख में ही किया जाना चाहिए.

2. बैलेंस्ड डाइट प्लान

मरीज की डाइट उसकी रिकवरी में काफी अहम रोल अदा करती है. नमक और ज्यादा तेल वाली चीजों को छोड़कर अपनी डाइट में फल, सब्जियां और मेवों को शामिल करने की सलाह दी जाती है. वहीं कुछ समय के लिए नॉन-वेज फूड को भी खाने से बचना चाहिए. 


3. रूटीन हेल्थ चेकअप

हार्ट अटैक के बाद लिपिड प्रोफाइल, शुगर, किडनी फंक्शन टेस्ट, ईसीजी, इको और टीएमटी टेस्ट नियमति रूप से जरूर करवाएं. इन टेस्ट के जरिए पता लगता है कि आप जिन दवाइयों का सेवन कर रहे हैं, वो आपके शरीर को कितना ठीक कर रही हैं और उनसे किसी तरह की कोई परेशानी तो नहीं हो रही. यदि कोई व्यक्ति को हार्ट अटैक आने के बाद  सांस फूलने, सीने में दर्द, बांह में दर्द, जबड़े में दर्द या पीठ दर्द जैसी शिकायत होती है तो उसको तुरंत हॉस्पिटल लेकर जाएं.


4. काउंसलिंग और सपोर्ट ग्रुप

डिस्चार्ज के बाद मरीज और उसके परिवार को हृदय रोग विशेषज्ञ, कार्डियक सर्जन, फूड स्पेशलिस्ट और फिजियोथेरेपिस्ट को उनकी काउंसलिंग करनी चाहिए. ऐसा करने से उनमें इस परिस्थिति से निकलने में मदद मिलती है. इसके अलावा वो लोग इस बीमारी से ग्रस्त होने के बाद ज्यादा परेशान होते हैं जो एक हेल्थी लाइफस्टाइल को फॉलो करते थे. इस तरह के केस में उन मरीजों को ऐसे मरीजों से मिलवाना चाहिए जो इस बीमारी से लड़े हैं. दूसरे सर्वाइवरर्स से मिलकर बात करें जो उनकी इस परेशानी को दूर करने में सहायक हो सकता है. 


5. रिस्क को कम करने के लिए जरूरी दवाएं

हार्ट अटैक के जोखिम को आगे कम करने के लिए कुछ दवाइयों को इलाज में जरूर शामिल किया जाता है, जो आगे इस जोखिम को कम कर सकती हैं. इन दवाइयों में बीटा-ब्लॉकर्स, एंटीथ्रॉम्बोटिक्स (एंटीप्लेटलेट या थक्कारोधी दवाएं),

और स्टैटिन शामिल हैं. जो मरीज को दी जा सकती हैं. ये सभी दवाएं एक और हार्ट अटैक आने की संभावना को काफी कम कर सकती हैं.


अंत में इस बीमारी से खुद को पूरी तरह से रिकवर करने के लिए जरूरी है कि आप अपने डेली रूटीन में एक्सरसाइज, योग, ध्यान, अच्छी नींद, स्ट्रेस से छुटकारा, अच्छा स्वस्थ भोजन शामिल करें.  इसके अलावा लाइफ स्टाइल में बदलाव, रेगुलर हेल्थ चेकअप और फैमिली का सपोर्ट हार्ट पेशेंट्स की रिकवरी में बहुत मदद करता है.


अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. 



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